अनादिकाल काल से चले आ रहे सनातन धर्म की जय हो

youtube

Monday 22 July 2013

७.भदोरिया चौहान भदावर राज्य

७.भदोरिया चौहान :- वीर विनाद में श्यामलदास जी ने लिखा हे की किसी पूर्णराज चोहान ने भदोर क्षेत्र पर अधिकार किया | अतः उनके वंशज भदोरिया चौहान कहलाये | बहादुरसिंह बीदावत ने क्षेत्रीय जाती सूची पुस्तक में भी पूर्णराज चौहान के वंशज होना लिखा है | परन्तु भदोरिया चौहान अपना निकास काका कान्ह अजमेर से मानते है | उनका मानना है की कान्ह के बेटे कजल देव के पुत्र सालरदेव हुए | उन्होंने भदासर बसाया | अतः उनके वंशज भदोरिया हुए | कोनसा मत सही हे ? साक्ष्य के अभाव में कुछ भी कहा नहीं जा सकता | भदोरिया चौहान भी बड़े वीर हुए | उन्होंने कई युद्धों में राजपूती शोर्य का परिचय दिया राजा बदन सिंह बदन सिंह भदोरिया शाहजहाँ के दरबार में १५०० जात व् 1400 सवार के मनसबदार थे | राजा खमन भदोरिया अकबर के समय 500 सदी के मनसबदार थे | भोज विक्रमादित्य भदोरिया शाहजहाँ के मनसबदार तथा उधोत्सिंह ,दौलतसिंह ,व् रुद्रसिंह महासिंहोतज ओरंगजेब के मनसबदारी थे | इटावा जिला आगरा क्षेत्र व् कुछ भाग जिला झुंझुनू के कुछ भाग पर भदोरिया का राज्य रहा था |

भदावर राज्य :-भदावर इलाके पर शासन करने वाला भदोरिया कहलाते है | इनका क्रमवार वर्णन नहीं है फिर भी जो हे वह वर्णन कर रहे है | भदोरिया राजाओं में सबसे पहले राव राजा राजू रावत का नाम आता है १२०६ ई.के करीब यह नसरुद्धीन मोह्मद्द के समकालीन थे | इनके बाद राजा मुकुट मणि भदोरिया अकबर के समकालीन थे | राजा विक्रमादित्य (जहागीर के ) राजा भोमसिंह (जहागीर के समकालीन ) र्ज़ाजा किशनसिंह (म्रत्यु १६४३ ) राजा भरतसिंह (म्रत्यु १६४४) इनके बाद राजा बदन सिंह भदोरिया (वि.१६४३-१६८४) प्रसिद्द शासक हुए इन्होने मिणड जनपद (म.प्र.) में अटेर में वि.१७०१ में उदयगिरी नामक दुर्ग की नींव रखी | यह शाहजहाँ के दरबार में मनसबदार थे | जिन्होंने अटेर दुर्ग को पूर्ण करवाया | इनका राज्यकाल वि.१६५४-१६८० तक थे इसके बाद क्रमश राजा जयसिंह ,राजा उधोत्सिंह ,राजा अमृतसिंह १७२९-१७३९ ई. राजा अनिरुद्ध सिंह १७३९-१७४१ ई.तक राजा रामसिंह १७४१-१७४८ ई.तक राजा हिम्मत सिंह जयसिंह १७४८-१७५५ तक राजा बखतसिंह १७५५-१८०३ ई.तक राजा प्रतापसिंह १८०३ ई. तक राजा सरनेतसिंह ई.१८३९ में म्रत्यु राजा महेंद्र सिंह १८३९-१९०२ महाराज महेंद्र भानसिंह १९०२ ई.अकबर ने भदावर राज्य अपने अधीन किया राजा की पदवी तथा मनसब दिया |

No comments:

Post a Comment