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Friday 2 August 2013

भीनमाल और सिरोही देवड़ा चौहान राजवंश

१. भीनमाल :- नाडोल के शासक लखमण के पुत्र सोभित ने भीनमाल में राज्य कायम किया | सोभित का उतराधिकारी लक्ष्मण के पुत्र आसराज ( अश्वराज ) का पुत्र महेंद्र हुआ | महेंद्र के बाद क्रमश सिन्धुराज ( मछरीक ) प्रताप (आल्हण ) आसराज ,जेन्द्रराज ,कीर्तिपाल ,समरसी ,प्रताप ,शयननंदन बिजड़ ब लूम्भा हुए | लूम्भा ने परमारों से वि.सं.१३६८ वि.के करीब चन्द्रवती व् आबू छीना तथा १३७७ वि. में अचलेश्वर मंदिर का जीर्णोधार करवाया | लूम्भा की म्रत्यु १३७८ वि.के करीब हुयी | इनके बाद तेजसिंह ,कान्हड़दे ,सामंतसिंह ,सलखा व् रायमल हुए |

२.सिरोही राज्य :- चंद्रावती और आबू के शासक रायमल देवड़ा का पुत्र शिवभाण ने आपने राज्य का विस्तार किया और सरवणा पहाड़ी पर सुरक्षा के लिए दुर्ग का निर्माण करवाया तब वि.सा,१४६२ में शिवपुरी नामक नगर बसाया | उनके पुत्र सहसमल ने शिवपुरी से दो मील दुर वि.१४८२ में नया नगर बसाया जो सिरोही कहलाया | सहसमल ने भी सोलंकी राजपूतो का कुछ क्षेत्र छीन लिया | कुम्भा ने आबू पर अचलगढ़ का दुर्ग तथा कुम्भ स्वामी का मंदिर बनवाया |
सह्समल के बाद रावलाखा शासक हुआ | कुम्भा की म्रत्यु के बाद उन्होंने मेवाड़ से पुनः आबू जीतकर आपने राज्य में मिलाया | उन्होंने लाखनाव तालाब बनवाया | बिखरी हुयी प्रजा को बसाया तथा कई व्यापारियों को  लाकर आपने राज्य में बसाया राज्य का विकास किया | लाखा का उतराधिकारी जगमाल भी योग्य शासक था | रायमल मेवाड़ और बहलोललोदी के युद्ध में रायमल का साथ देकर बहलोल को वि.सं.१५३१ में हराया | जगमाल का वयवहार मेवाड़ी राणी आनंदा बाई के प्रति ठीक नहीं था | रायमलके पुत्र प्रथ्वीराज ने जब सिरोही आकर उसको डराया तब वापिस जाते समय प्रथ्वीराज को जगमाल ने जहर दे दिया जिससे ऐक पराक्रम राजपूत की म्रत्यु हो गयी |
जगमाल के बाद अखेराज गद्धी पर बैठा वि.सं. १५८४ ई.सं.१५२४ के खानवा के युद्ध में इसने महाराणा सांगा का साथ दिया | इसके बाद रामसिंह को उसको शासन मिला | गुजरात के बहादूर शाह ने जब चितोड़ पर आक्रमण किया तब रायमल राना विक्रमादित्य के पक्ष में लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ | इसके बाद दूदा ,उदयसिंह ,मानसिंह और फिर सुरतान सिरोही के प्रतापी नरेश हुए | सुरतान अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की | ई.१५७३ में अकबर द्वारा पराजीत होकर आबू के पहाड़ों में रहकर छापामार युद्ध किये | १५८१ ई, में सुरतान ने सैयद हुसेन को मारकर सिरोही पर अधिकार कर लिया | शाही सेना ने फिर सिरोही छीन लिया तो पुनः पहाड़ों में चला गया | दंताणी में १५८३ ई.में 18 अक्तूबर को शाही सेना के साथ सुरतान का युध्ह हुआ | इस युद्ध में शाही सेना पराजय हुयी | दूसरा चारण इस समय शाही सेना में था और घायल हुआ था | सुरतान ने इनके घाव ठीक करवाए थे | तथा इनकी काव्य शक्ति पर प्रसन्न होकर करोड़ पसाव में पेशवा गाँव जागीर में दिया |दतानी युद्ध की पराजय से अकबर बड़ा क्रोधित हुआ | उसने जामवेग और विजयराज देवड़ा को सिरोही पर भेजा | सुरतान और शाही सेना का फिर युद्ध हुआ | विजयराज देवड़ा मारा गया और जामवेग हारकर भाग गया | सुरतान ने सिरोही पर अधिकार कर लिया | अकबर सिरोही को पुनः नहीं जीत सका | ई.१६१० में इस वीर की म्रत्यु हो गयी | सुरतान ने राना प्रताप और चन्द्रसेन राठोड़ को आपने पास पहाड़ों में रखकर उनकी सहायता की थी |
सुरतान के बाद रायसिंह | और फिर उसका पुत्र अखेराज गद्धी बेठा | इसके बाद उदयसिंह और बेरशाल शासक हुए | वेरिशाल के दादा अखेराज की पुत्री जसवंतसिंह जोधपुर राणी थी | जसवंत सिंह की म्रत्यु जमरूद में होने पर सिरोही आ गयी थी | अजीतसिंह को लेकर दुर्गादास के साथ सिरोही आ गयी थी | अजीतसिंह का लालन -पालन वहा के जगदेव पुरोहित की स्त्री ने कालदी गाँव में रहकर किया | वह ग्राम के बहार ऐक पहाड़ी मंदिर में अजीतसिंह को रखती थी और मुकुनदास खिंची साधू के वेश में वहां रहता था |
इसके बाद क्रमशः सुरतान | मानसिंह ,प्रथ्वीराज ,जगतसिंह ,बेरिशाल ,उदयभाण ,शिवसिंह ,उम्मेदसिंह ,केशरसिंह ,स्वरूपसिंह ,तेजसिंह और उभयसिंह सिरोही के शासक हुए |

सिरोही शासक 
१ शिवभाण १३९२-१४२४ ई.
२,सह्समल १४२४-१४५१ 
३,लाखा   १४५१-१४८१
४.जगमाल  १४२४-१५२३ 
५ अखेराज १५२३-१५३३ 
६'रायसिंह १५३३-१५४३
७.दूदा १५४३-१५५३
८.उदय सिंह १५५३-१५६२ 
9.मानसिंह १५६२-१५७२ 
१०.सुरतान १५७२-१६१०
11.रायसिंह १५७२-१६१०
१२.अखेराज १६२०-१६७३ 
13.उदयभाण १६७३-१६७६ 
14.बेरिशाल १६७६-१७०५
15 छत्रसाल १६९७-१७०५
16.सुरतान १७०५ -
17.मानसिंह १७४८-
18.प्रथ्वीराज -१७४९-१७७२ 
19 .जगत सिंह १७८२-
२०.बरिसाल १७८२-१८०७ 
21.उदय भान 11 ( १८०७-१८१८ )
22 .शिवसिंह १८१८-१८६२
23 उम्मेदसिंह १८६२-१८७५ 
24 केशरीसिंह १८75-१९२०
25.स्वरूपसिंह १९२०-१९४६ 
26 तेजसिंह १९४६-१९५०
27 अभयसिंह 1950 

1 comment:

  1. भीनमाल के चौहानो की हिस्टरी भेजे। chiragchauhan3737@gmail.com and call 8347429696

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