67. उदावत राठोड़ :- जोधपुर नरेश सूजाजी के ऐक पुत्र उदाजी थे | इन्होने 1539 विक्रमी में सिंधल खीवा से जेतारण विजय किया | इनके वंशज उदावत राठोड़ कहलाते है | उदावत राठोड़ों ने भी समय -समय पर अपनी मात्रभूमि व् जोधपुर नरेश की रक्षार्थ तलवारें बजायी थी | उदाजी के छः पुत्र मालमसिंह , डूंगरसिंह ,नेतसी,जैतसी ,खेतसी और खींवकरण थे | मालमसिंह के वंशजों के लोटती , गलगिया आदी ठिकाने थे उदाजी के पुत्र डूंगर सिंह हरमाड़े स्थल पर राणा उदयसिंह व हाजीखां के बीच युद्ध में हाजी खां के पक्ष में लड़ते हुए काम आये | तीसरे पुत्र नेतसी के वंशजों के अधिकार में बाछीमाड़ा , रायपुर आदी ठिकाने थे| चौथे पुत्र जेतसी के वंशज छीपिया नाबेड़ा में है | पांचवे पुत्र खेतसी के वंशज बोयल गाँव के अधिकारी थे | छठे पुत्र खिंवकरण थे | इनके पुत्र रतनसिंह , मालसिंह ( जेतारण ) गोद चले गए |
खिंव करण बड़े वीर थे | सुमेल के युद्ध में शेरसाह के विरुद्ध लड़ते हुए काम आये | खिंव करण के पुत्र उदयसिंह मेवाड़ के राना उदयसिंह वा हाजी खां के बीच हुए युद्ध में विक्रमी 1613 में लड़े | रतनसिंह के समय जेतारण पर हमला हुआ | रतनसिंह ने वीरगति पाई यह घटना विक्रमी संवत 1614 की हे | रतनसिंह के साथ किशनदास , शंकरदास , नारायणदास , नगराज व खेतसी पर्वतोत भी काम आये | जेतारण में उदावातों का मंदिर व् गुरुद्वारा है | चंद्रसेन वा उदयसिंह की लड़ाई में रतनसिंह के पुत्र कल्याणसिंह ने चन्द्रसेनजी के पक्ष में युद्ध किया | कल्याणसिंह जहांगीर के समय बंगस की लड़ाई में काम आये | इनके पुत्र मुकंददास को सूरसिंह ने आसरडाइ का ठिकाना प्रदान किया | सोजत परगना दिलाने में मुकुन्ददास के पुत्र विजयरामजी को रास का ठिकाना मिला | विजयरामजी के पुत्र मालसिंह को इनके भाई जगरामसिंह ने मारकर रास पर अधिकार कर लिया | अजीतसिंह के समय मारवाड़ को वापिस लेने में ओरंगजेब की सेना के साथ दुर्गादास ने जो युद्ध किये उनमे जगराम सिंह ने अच्छी बहादुरी दिखाई | जोधपुर मिलने पर अजीतसिंह ने 10 गाँवो सहित इनको नीमाज का ठिकाना इनायत किया |इनके पुत्र उदयरामजी को नोबेल का ठिकाना व अनोपरामजी को जूझणडा मिला | मानसिंह के समय में सुरतान सिंह नीमाज को बाझाकुडी व डाबड़ीयाद की जागीर दी गई | बाद में सुरतान सिंह पर मानसिंह की कुद्रष्टि हो गयी तब जोधपुर स्थति नीमाज की हवेली को मनसिंह की सेना ने कब्जा कर लिया | सुरतानसिंह इस झगड़े में काम आये | इसी समय पीह के ठा. उदावत भोमसिंह , नगजी ब्राह्मण व भडेगाँव का रुपावत राठोड़ खेतसी भी नमक की लाज रखते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ |
उदावतों के सब ठिकानों का विवरण निम्न प्रकार हे |
ठिकाना रायपुर ( 21 गाँव ) नीमाज (9 गाँव ) रास (14 गाँव ) लाबिया (६ गाँव ) गुदवच (६ गाँव ) ये सब बड़े ठिकाने थे | इनेक अलावा रामपुरो , पालसणी भैरुंदा, बांसियों ,देवली ,अभेपुरो ,आकेलो ,नीबेड़ो,बीकालाई(आधा ),पाटवो, गेमलियावास , निबोल ,खीनवड़ी ,बिरोल ,रामावास , जालीवाडो,बर ,डेह ,संडीलो ,बेदापंडी ,करमावास ,वोयल,डाभली ,पीह ,काल्यारडो,मंडोवरी ,कुलयानों,बवाल ,रेबडारोबोस ,धालियो,रिठमलरो बास ,चाँदवासणा ,कलाउना,खडालो ,भुंड ,वडी,मोडावली स्याह ,कापडोद,बासडी ,बालेरा देवरिओ,राजाडेड ,लासणी ,रिखलिया ,मामुजो,लूडी ,लूणीदो ,गोपड़ी ,बराठीयो ,महेसियो ,खीवांसर ,धूलको ,पिरलीपुरो ,पुनडाउ आदी छोटे ठिकाने थे |
खिंव करण बड़े वीर थे | सुमेल के युद्ध में शेरसाह के विरुद्ध लड़ते हुए काम आये | खिंव करण के पुत्र उदयसिंह मेवाड़ के राना उदयसिंह वा हाजी खां के बीच हुए युद्ध में विक्रमी 1613 में लड़े | रतनसिंह के समय जेतारण पर हमला हुआ | रतनसिंह ने वीरगति पाई यह घटना विक्रमी संवत 1614 की हे | रतनसिंह के साथ किशनदास , शंकरदास , नारायणदास , नगराज व खेतसी पर्वतोत भी काम आये | जेतारण में उदावातों का मंदिर व् गुरुद्वारा है | चंद्रसेन वा उदयसिंह की लड़ाई में रतनसिंह के पुत्र कल्याणसिंह ने चन्द्रसेनजी के पक्ष में युद्ध किया | कल्याणसिंह जहांगीर के समय बंगस की लड़ाई में काम आये | इनके पुत्र मुकंददास को सूरसिंह ने आसरडाइ का ठिकाना प्रदान किया | सोजत परगना दिलाने में मुकुन्ददास के पुत्र विजयरामजी को रास का ठिकाना मिला | विजयरामजी के पुत्र मालसिंह को इनके भाई जगरामसिंह ने मारकर रास पर अधिकार कर लिया | अजीतसिंह के समय मारवाड़ को वापिस लेने में ओरंगजेब की सेना के साथ दुर्गादास ने जो युद्ध किये उनमे जगराम सिंह ने अच्छी बहादुरी दिखाई | जोधपुर मिलने पर अजीतसिंह ने 10 गाँवो सहित इनको नीमाज का ठिकाना इनायत किया |इनके पुत्र उदयरामजी को नोबेल का ठिकाना व अनोपरामजी को जूझणडा मिला | मानसिंह के समय में सुरतान सिंह नीमाज को बाझाकुडी व डाबड़ीयाद की जागीर दी गई | बाद में सुरतान सिंह पर मानसिंह की कुद्रष्टि हो गयी तब जोधपुर स्थति नीमाज की हवेली को मनसिंह की सेना ने कब्जा कर लिया | सुरतानसिंह इस झगड़े में काम आये | इसी समय पीह के ठा. उदावत भोमसिंह , नगजी ब्राह्मण व भडेगाँव का रुपावत राठोड़ खेतसी भी नमक की लाज रखते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ |
उदावतों के सब ठिकानों का विवरण निम्न प्रकार हे |
ठिकाना रायपुर ( 21 गाँव ) नीमाज (9 गाँव ) रास (14 गाँव ) लाबिया (६ गाँव ) गुदवच (६ गाँव ) ये सब बड़े ठिकाने थे | इनेक अलावा रामपुरो , पालसणी भैरुंदा, बांसियों ,देवली ,अभेपुरो ,आकेलो ,नीबेड़ो,बीकालाई(आधा ),पाटवो, गेमलियावास , निबोल ,खीनवड़ी ,बिरोल ,रामावास , जालीवाडो,बर ,डेह ,संडीलो ,बेदापंडी ,करमावास ,वोयल,डाभली ,पीह ,काल्यारडो,मंडोवरी ,कुलयानों,बवाल ,रेबडारोबोस ,धालियो,रिठमलरो बास ,चाँदवासणा ,कलाउना,खडालो ,भुंड ,वडी,मोडावली स्याह ,कापडोद,बासडी ,बालेरा देवरिओ,राजाडेड ,लासणी ,रिखलिया ,मामुजो,लूडी ,लूणीदो ,गोपड़ी ,बराठीयो ,महेसियो ,खीवांसर ,धूलको ,पिरलीपुरो ,पुनडाउ आदी छोटे ठिकाने थे |
tell me for sundawat rathore
ReplyDeleteजरुर आप कहा से हो
ReplyDeleteआगे इन के वंश का क्या हुआ, क्या इन्हें आब उदावंत नाम से जाना जाता हैं ? मेरा नाम अभिजीत उदावंत हैऔर में महाराष्ट्र से हु, मै ये जानने की कोशिश कर रहा हु की कही ये उदावत राठोड हमारे पूर्वज तो नहीं है ? अब हम यहाँ पे लाड सुनार जाती से पहचाना जाता है लेकीन ऐसा हमें कहा जाता है कि बहुत सालो पहले हमारे समाज के लोग राजस्थान से यहाँ प्रस्थापित हुये, लेकिन जादा पता नहीं
ReplyDeleteभीमराजोत बीका :- बीकानेर के लूणकरण के पुत्र जैत सिंह के दुसरे पुत्र भीमराज के वंशज भीम्रजोत कहलाते है ।जोधपुर के शासक मालदेव राठोड़ ने बीकानेर पर आक्रमण किया । इसमें बीकानेर के राजा जैतसिंह ने वीरगति प्राप्त पाई । मालदेव का बीकानेर पर अधिकार हो गया । जैतसिंह के पुत्र कल्याणदास सिरसा में राजगद्धी बेठे ।भीमराज शेरसाह के पास गए और शेरशाह की सहायता से मालदेव को बीकानेर से हटाया और आपने भाई कल्याणमल का अधिकार बीकानेर पर करवा दिया । इससे प्रसन्न होकर कल्याणमल ने भीमराज को विक्रमी संवत 1602 में भोमसार की जागीर दी । रायसिंह की अकबर के समय गुजरात पर चढ़ाई होने पर उस युद्ध में भीमराज के पुत्र नारंग ने वीरगति पायी |इनके वंशधर हिम्मत सिंह को गजसिंह ने राजपुरा गाँव जागीर में दिया । राजपुरा दोलड़ी ताजीम वाला ठीकाना था । यहीं अमर पूरा , कुशुम्बी , भुवाड़ी आदी भीमराजोत बीकाओं के गाँव
ReplyDeleteभीमराजोत बीका :- बीकानेर के लूणकरण के पुत्र जैत सिंह के दुसरे पुत्र भीमराज के वंशज भीम्रजोत कहलाते है ।जोधपुर के शासक मालदेव राठोड़ ने बीकानेर पर आक्रमण किया । इसमें बीकानेर के राजा जैतसिंह ने वीरगति प्राप्त पाई । मालदेव का बीकानेर पर अधिकार हो गया । जैतसिंह के पुत्र कल्याणदास सिरसा में राजगद्धी बेठे ।भीमराज शेरसाह के पास गए और शेरशाह की सहायता से मालदेव को बीकानेर से हटाया और आपने भाई कल्याणमल का अधिकार बीकानेर पर करवा दिया । इससे प्रसन्न होकर कल्याणमल ने भीमराज को विक्रमी संवत 1602 में भोमसार की जागीर दी । रायसिंह की अकबर के समय गुजरात पर चढ़ाई होने पर उस युद्ध में भीमराज के पुत्र नारंग ने वीरगति पायी |इनके वंशधर हिम्मत सिंह को गजसिंह ने राजपुरा गाँव जागीर में दिया । राजपुरा दोलड़ी ताजीम वाला ठीकाना था । यहीं अमर पूरा , कुशुम्बी , भुवाड़ी आदी भीमराजोत बीकाओं के गाँव ha
ReplyDeleteSURENDRA SINGH भीमराजोत बीका RAJASTHAN
Jaitpura pali me bhi udawat hai hkm
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