व्यक्ति कठोर साधना ,तपस्या,स्वाध्याय,चिंतन व् मनन कर तथा सुकर्म में प्रव्रत होकर शुद्ध तत्व का अनुभव करता है वह शुद्ध तत्व ऋतु कहलाता है । लोक कल्याण की भावना से द्रवीभूत होकर जब वह इस शुद्ध तत्व को वाणी या लेखनी के माध्यम से प्रकट करना चाहता है तब प्रदूषण धर्मा बुद्धि उसमे मिलावट कर देती है । यही मिलावटी शुद्ध तत्व सत्य कहलाता है ।सच्चा साधक इस मिलावट की पहचान कर उसे सुद्ध स्वरूप को जानने का प्रयत्न करता है ,वहीँ बुद्धिजीवी अपने आपको महत्वशाली प्रदर्शित करने के लिये इस सत्य का प्रचारक बनता है ।हर बार उसकी बुद्धि इस सत्य में नया प्रदूषण मिलाती रहती है ।इस प्रकिर्या के चलते अत्यधिक प्रदूषण के मिश्रण से यह सत्य ,असत्य बनकर लोगो के शोषण का साधन बन जाता है
इसी मिलावटी कुप्रचार के शिकार हुए काशी नरेश ( जयचन्द गहड़वाल )
अब इतिहास में नवीनतम शोध और इतिहास पुनर्लेखन की जरूरत हे जैसे की ऊपर देवी सिंह महार साहब ने कहा है की सच्चा साधक बनकर इसी मिलावटी पहचान कर सुद्ध स्वरूप को जानने की कोसिस करनी हे और कुप्रचार के शिकार धर्मपरायण कन्नौज नरेश जयचन्द गहडवाल को न्याय दिलवाना है इसी के तहत 1 मई 2016 को जयपुर में इतिहास की नवीनतम शोध और पुनर्लेखन पर पहली बार शुरुआत कन्नौज नरेश जयचन्द गहडवाल की स्म्रति के तहत प्रोग्राम रखा गया है सभी क्षत्रियो का कर्तव्य बनता है बनता हे जयपुर पधारे और ज्यादा से ज्यादा संख्या में साथियो को लाकर प्रोग्राम को सफल बनाये
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